News Update: उपवास करना अंतिम मरण के समय शांति का प्रतीक मुनि सुधींद्र
गैंजी: आचार्य श्री सुनील सागर महाराज के शिष्य मुनि श्री सुधींद्र सागर क्षुल्लक श्री अकम्प सागर महाराज के सानिध्य में प्रातः 7 बजे अभिषेक शांतिधारा की गई पश्चात सोलह कारण पर्व की पूजा बाल ब्रह्मचारी मयंक भैया ने संपन्न कराई
मुनि श्री के संघस्थ ब्रह्मचारी महेंद्र भैया के मासौपवास चलते आज सोलहवां उपवास है आगे बत्तीस
उपवास पूर्ण होने पर 19 सितंबर को पारणा होगा
शांति धारा के पूण्यार्जक प्रेमलता ,मासोपवासी महेंद्र भैया / शकुंतला, रमेश /अनीता, अविनाश / सपना ,विशाल/ संघस्थ बाल ब्रमचारीणी अनामिका , एवम समस्त टाया परिवार करावली वालो का सौभाग्य रहा
यह जानकारी अनिल जैन तोरावत ने बताया कि मुनि श्री ने अपने मुखारविंद से अमृतवाणी में कहा जीवन में उपवास रखना चाहिए क्यों की उपवास से स्वास्थ लाभ होता ही दूसरा एक से अधिक उपवास रखना मरण के समय शांति प्राप्त होती है जैसे जो व्यक्ति दिन में चार बार खाता है दस बार पानी पीता है और मरण के पहले किसी को आठ दिन पंद्रह दिन महीना से अधिक दिनों तक भोजन पानी छुट जाता है उस समय भूख प्यास की वेदना सताती है और ऐसे में मरण कर जीव दुर्गति को प्राप्त होता है असंख्य बार खाने पीने की वस्तु में किड़ो की योनि दुःख भोगता है और जिसने जीवन में उपवास का बेला तेला पंचला दसला सोलह बत्तीस चौसठ उपवास कर रखे है उन्हे मरण के समय भूख प्यास की वेदना नही सताती ऐसे में जीव का ध्यान प्रभु में या निज आत्मा में रहता है शांत चित्त मन से प्राण त्याग कर देव गति को प्राप्त कर सुखों को भोगता है इसलिए जीवन में उपवास रखने चाहिए कल्पेश कुमार दमपाल जैन टप्पू जैन अजब लाल जी जैन तिलकेश जैन जितेंद्र जैन मोहनलाल जी जैन रौनक जैन जयप्रकाश जैन नरेंद्र जैन अजय कुमार जैन संयम जैन नीरज जैन दीपक जैन विनोद जैन केशव लाल जैन केतन जैन टिंकू जैन निलेश मास्टर अशोक कुमार छगनलाल राजेंद्र कुमार कोठारी संदीप कुमार राजेंद्र शुभम डॉक्टर शांतिलाल जी दिलीप कुमार…..