Rajasthan: राजस्थान: अपने वेतन से बदली सरकारी स्कूल की तस्वीर, चर्चा में शिक्षक सुमित यादव
राजस्थान के अलवर जिले के छोटे से गांव कादर नंगला का राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय इन दिनों प्रदेशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। वजह हैं—इसी विद्यालय में कार्यरत शिक्षक सुमित कुमार यादव, जिन्होंने अपने वेतन से लगभग 16 लाख रुपये खर्च कर विद्यालय को नयी पहचान दी है।
जहां एक ओर सरकारी स्कूल अक्सर सुविधाओं की कमी और उपेक्षा का शिकार होते हैं, वहीं कादर नंगला का यह स्कूल एक मिसाल बन चुका है। शिक्षक सुमित यादव, जो खुद किराए के मकान में रहते हैं, ना उनके पास कोई संपत्ति है, ना व्यापार, फिर भी उन्होंने अपने जुनून और सेवा भावना के चलते विद्यालय को एक मॉडल स्कूल में तब्दील कर दिया।
सुमित यादव को मिला भामाशाह सम्मान
28 जून को राज्य सरकार द्वारा घोषित “भामाशाह सम्मान पुरस्कार” ने उनकी मेहनत पर मुहर लगा दी। सरकार और प्रशासन द्वारा कई बार सम्मानित किए जा चुके सुमित यादव ने बताया कि “सेवा ही मेरा धर्म है।”
स्कूल में किए गए उल्लेखनीय बदलाव:
बच्चों को ड्रेस, जूते, बैग, स्टेशनरी, बेल्ट, टी-शर्ट, लोअर का वितरण
बैठने के लिए फर्नीचर, गद्दे, क्लासरूम टाइलिंग और छत मरम्मत
स्कूल में सीसीटीवी कैमरे, कंप्यूटर लैब, पेंटिंग व सजावट, सरस्वती माता का मंदिर
कार्यालय में अलमारी, बुक सेल्फ, चेयर, टेबल आदि फर्नीचर की व्यवस्था
पर्यावरण के लिए वृक्षारोपण अभियान व वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
ग्रामीणों का कहना है कि कुछ वर्ष पूर्व यह विद्यालय जर्जर हालत में था—टपकती छतें, टूटी खिड़कियां और गंदगी। लेकिन आज यह स्कूल हर मायने में एक आदर्श शिक्षण संस्थान बन गया है।
समाज सेवा में भी अग्रणी सुमित यादव न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि समाजसेवा में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
22 बार रक्तदान नेत्रदान का संकल्प: ₹1 में भोजन उपलब्ध कराने वाली विजन संस्था, भवानी टोंक के जीव संरक्षण केंद्र और अन्य संस्थाओं के साथ सक्रिय सहयोग।
निष्कर्ष: “सेवा परमो धर्म:” को अपने जीवन का मूलमंत्र मानने वाले सुमित यादव जैसे शिक्षक ही वास्तव में शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ हैं। उनका यह समर्पण न केवल एक गांव को बल्कि पूरे प्रदेश को प्रेरणा दे रहा है।
संवाददाता: देवराज मीणा, मुंडावर (खैरथल-तिजारा