युवराज प्रधान: अलवर के इस युवा ने पर्यावरण के प्रति ऐसा जुनून दिखाया कि 30,000 से भी अधिक पौधे लगाए, बच्चों को भी सिखाया हरियाली का महत्व
Alwar Rajasthan: छोटी उम्र में बड़े कारनामे कर दिखाने वाले युवराज प्रधान आज न केवल अलवर बल्कि पूरे देश में पर्यावरण के प्रति अपने समर्पण के कारण सराहे जा रहे हैं। गुल्लक के पैसों से शुरू की गई उनकी यह यात्रा आज 30,000 से भी अधिक पौधों के साथ एक मिशन बन चुकी है। नौवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान ही युवराज ने दुनिया में ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाले कोरोना के संकट को देखा और समझा, और तभी से ठान लिया कि वे इस दिशा में कुछ करेंगे।
उनकी यह कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है कि किस प्रकार एक छोटे से कदम ने एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया।
**गुल्लक से शुरुआत: बचत से पौधों तक का सफर** युवराज ने पर्यावरण की दिशा में अपने कदम तब बढ़ाए, जब उनके पिता ने उन्हें रोजाना थोड़े-बहुत पैसे जेब खर्च के लिए देने शुरू किए। लेकिन युवराज ने उन पैसों को गुल्लक में जमा करना शुरू किया और इकट्ठे होने पर वे इनसे पौधे खरीद लाते थे। एक-एक पौधा लगाने का यह सिलसिला लगातार चलता रहा और उन्होंने इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना लिया।
**टीम की स्थापना: बच्चों में भी जगाई पर्यावरण के प्रति जागरूकता** युवराज प्रधान का सफर सिर्फ पौधे लगाने तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अपने जैसे युवाओं की एक टीम बनाई और अपने मिशन को और विस्तार देने के लिए **स्कूलों और कोचिंग सेंटरों में जाकर बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक** किया। युवराज का मानना है कि बच्चों को पर्यावरण का महत्व समझाना बेहद जरूरी है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस दिशा में अपना योगदान दे सकें।
**मिनी फॉरेस्ट का निर्माण: भरतपुर के कामां में हरियाली की मिसाल** युवराज प्रधान ने हाल ही में भरतपुर के कामां क्षेत्र में एक **मिनी फॉरेस्ट** का निर्माण किया, जहां लगाए गए पौधे अब बड़े हो चुके हैं। यह मिनी फॉरेस्ट युवराज के इस सफर का एक अद्भुत उदाहरण है। यहां औषधीय, फलदार और कई अन्य प्रकार के पौधे लगाए गए हैं, जो न केवल ऑक्सीजन का स्रोत बन रहे हैं, बल्कि आसपास के जीव-जंतुओं को आश्रय भी दे रहे हैं। युवराज के लिए यह मिनी फॉरेस्ट उनके सपने का एक हिस्सा है, जिसे वे और आगे ले जाना चाहते हैं। युवराज चाहते है कि वो लगातार ऐसे ही पौधे लगते रहे , युवराज प्रधान का सपना है वो 5 करोड़ से अधिक पौधे लगाकर उनकी जान बचाए
**देशभर में जागरूकता रैलियां और सफाई अभियान** युवराज प्रधान सिर्फ पौधों तक सीमित नहीं हैं; वे देश के विभिन्न शहरों और गांवों में जाकर **जागरूकता रैलियां** भी निकालते हैं। स्कूलों में बच्चों के बीच पौधारोपण के महत्व के बारे में बताते हैं और उन्हें पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके अलावा, युवराज स्वच्छता को लेकर भी बेहद सजग हैं। वे अपने आसपास के क्षेत्रों में सफाई अभियान चलाते हैं और लोगों को स्वच्छता का महत्व समझाते हैं। उनका कहना है कि एक स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण ही स्वस्थ जीवन का आधार है।
**साहित्य में भी रुचि, अब तक लिखी तीन किताबें** युवराज का जुनून सिर्फ पर्यावरण तक ही सीमित नहीं है; वे साहित्य में भी गहरी रुचि रखते हैं। युवराज प्रधान अब तक **तीन किताबें** लिख चुके हैं। उनकी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक **”Listen to Silence”** को काफी सराहा गया है, जिसमें उन्होंने आत्मा की आवाज को सुनने और समझने का संदेश दिया है। युवराज की रचनाओं में गहरी संवेदनशीलता झलकती है, जो उनकी परिपक्व सोच को दर्शाती है।
**सम्मान और पुरस्कार: ‘इन्फ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में नाम दर्ज** युवराज प्रधान के इस अद्वितीय कार्य के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें **’इन्फ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’** में भी स्थान मिला है, जो उनके अथक प्रयासों और समर्पण का प्रमाण है। इसके अलावा, उन्हें पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं।
युवराज प्रधान का यह मिशन, उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। उनकी यह यात्रा बताती है कि अगर एक युवा सच्ची इच्छाशक्ति और समर्पण के साथ कुछ करना चाहे, तो वह समाज और देश को नई दिशा दे सकता है.